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ऋण स्वीकृत करने की प्रक्रिया:-


प्रत्येक ऋण आवेदन शाखा प्रबन्धक के द्वारा प्राप्त किये जाऐंगे | प्रारम्भिक छानबीन के पश्चात यदि वो संतुष्ट होते हैं तो ऋण प्रस्ताव तैयार कर सकते हैं | जिसमें वे आवेदनकर्ता से आवश्यक सूचनाएं प्राप्त कर प्रस्ताव को अपनी अनुशंसा के साथ मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को प्रस्तुत करेंगे |

उपरोक्त प्रस्ताव से संतुष्ट होने पर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जी अपने स्तर से जाँच करके, अपनी अनुशंसा के साथ कार्यकारिनी समिति को स्वीकृति हेतु भेजेंगे | “कार्यकारिणी समिति” के स्वीकृति के उपरान्त शाखा प्रबन्धक के द्वारा ऋण वितरण किया जाएगा |

ऋण स्वीकृत करने के लिए “निदेशक मण्डल” में ही सारी शक्तियाँ निहित है | सुगम संचालन हेतु निदेशक मण्डल ने एक “कार्यकारिणी समिति” का गठन करके उसमें ऋण स्वीकृति सम्बन्धि सभी शक्तियाँ सन्निहित कर दी | “कार्यकारिणी समिति” के निम्नांकित सदस्य होंगे :-

  1. माननीय अध्यक्ष
  2. माननीय उपाध्यक्ष
  3. माननीय निदेशक
  4. माननीय निदेशक
  5. मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी

इस कार्यकारिणी समिति द्वारा स्वीकृत सभी ऋण को आगामी निदेशक मण्डल की बैठक में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाता है|

बैंक के अधिकारीयों द्वारा स्वतंत्र रूप से ऋण वितरण :-


  • तरल प्रतिभूति यथा LIP, NSC, KVP, BANK’S OWN DEPOSITS इत्यादि के अंकित मूल्य या वर्त्तमान मूल्य का 95% तक मुख्य कार्यपालक अधिकारी या शाखा प्रबन्धक द्वारा स्वीकृत किये जाएँगे |
  • VEHICLE LOAN (2/3/4 WHEELER) – शाखा प्रबन्धक की अनुशंसा पर 2 लाख रु० तक मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा स्वीकृत किये जाएँगे |
  • यदि कोई भी ऋण प्रस्ताव बैंक के लिए लाभकारी है तो “कार्यकारिणी समिति या माननीय अध्यक्ष” ब्याज दर, डाउन पेमेन्ट एवं पार्श्व प्रतिभूति में अन्तर/छुट कर सकते हैं | यह छुट अधिकतम 1% तक हो सकेगी | वैसे ग्राहकों को जो अपने ट्रेड की अग्रिम पंक्ति में गिने जाते हैं, जिनका सामाजिक सरोकार बेहतर या वृहद् हो उनको अपने “बैंक के लिए लाभकारी” की श्रेणी में रखा गया है | संभावना रहती है कि उनके आने से उनके सम्पर्कित कुछ और भी ग्राहक बैंक को मिलेगें | ऐसी आशा भी रहती है कि उपरोक्त ग्राहकों का टर्न ओवर ऋण राशि के अनुपात में अच्छा रहेगा |
    प्रत्येक ऋण आवेदन कर्त्ता से लिखित सूचना प्राप्त करना है कि उन्होनें अन्य बैंक से ऋण लिया है कि नहीं | यदि लिया है तो उसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी चहिए एवं सम्बन्धित बैंक से NOC भी प्राप्त करनी चाहिए |
    पाँच लाख या अधिक ऋण की स्वीकृति के पूर्व आवेदन कर्त्ता का व्यापर स्थल एवं आवास का निरीक्षण अनिवार्य है |
  • भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार प्रत्येक ऋण आवेदन की “ऋण आवेदन पंजी” में प्रविष्टि की जाएगी | अस्वीकृत आवेदन के सामने अस्वीकृति का कारण अंकित किया जाएगा |
  • बैंक द्वारा विभिन्न उद्देश्यों के लिए ऋण दिए जाते हैं तथा ऐसे ऋण विभिन्न नामकरण से जाने जाते हैं | अलग-अलग प्रकार के ऋणों के लिए विभिन्न ब्याज दर निर्धारित की गई है | (अन्य बैंक की ब्याज दरों के समकक्ष/प्रतिस्पर्द्धात्मक बनाया गया है |)
  • अलग-अलग ऋणों के लिए अलग-अलग पार्श्व प्रतिभूति की सीमा निर्धारित की गई है |
  • विभिन्न प्रकार के ऋण की अधिकतम सीमा प्रति ऋणकर्त्ता भी निर्धारित की गई है | विभिन्न ऋणों एवं उनपर प्रभावित ब्याज दर-तालिका संलग्न है |

महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु निदेशक मण्डल में ऋण दरों में महिलाओं के लिए विशेष छूट का प्रावधान किया है (यथा) :-

  1. गृह ऋण
  2. बिजनेस लोन : यथा C/C, OD
  3. T/L,LAD – LOAN AGAINST PROPERTY

महिला के नाम से हो (1 ST APPLICANT) तो बैंक में लागू ऋण दरों में आधा प्रतिशत की छूट दी जाएगी |


ऋण वितरण के पश्चात् ऋण खातों का पर्यवेक्षण


बैंक के द्वारा वितरित सभी ऋण Standard Assets बने रहे इसके लिए बैंक ने ऋण वितरण के पश्चात् पर्यवेक्षण करते रहने की योजना तैयार की है | इस नीति के तहत बैंक के शाखा प्रबंधक अपने – अपने क्षेत्र में प्रत्येक महीना में दो बार विशेष ग्राहकों के यहाँ विजिट करेंगे | ऐसा करने से ग्राहकों की अद्यतन स्थिति का आकलन होते रहेगा , साथ ही ग्राहक की समस्या का निदान भी हो सकेगा |


Review of LOAN A/cs


वितरित किये गए सभी ऋणों पर कड़ी नजर रखने का निर्णय लिया गया | इस हेतु बैंक के एक अधिकारी को दायित्व रहेगा जो प्रत्येक ऋण खाता के संचालन पर दृष्टि रखेंगे तथा आवश्यकतानुसार सम्बन्धित शाखा प्रबंधक , मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को सूचित करेंगे यहाँ विशेष रूप से उल्लेख करना आवश्यक समझा गया कि यदि किसी ऋणकर्ता की स्थिति आकस्मिक रूप से ख़राब होने की , या बैंक द्वारा प्रदत्त ऋण खतरे में पड़ने की स्थिति बनती हो तो उक्त अधिकारी बैंक के शीर्ष पदाधिकारी ( अध्यक्ष ) को भी सूचित करें |

ऋण खातों का रिव्यु करने के क्रम में बैंक अधिकारी को निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए :-

  1. जिस उद्देश्य से ऋण लिया गया , उसी उद्देश्य में रकम उपयोग की गई या नहीं ?
  2. बैंक से ऋण प्राप्त करने के बाद से ऋणी के व्यापार में वृद्धि परिलक्षित हो रही है या नहीं ?
  3. प्राइमरी सिक्यूरिटी (Stocks) ऋण के अनुपात में मेनटेन है या नहीं
  4. ग्राहक समस्त सेल प्रोसिड्स को अपने बैंक खाते में जमा करता है , या सीधे भी नगदी भुगतान करता है
  5. बैंक को स्टॉक स्टेटमेंट नियमित रूप से समर्पित करता है या नहीं ? यदि नहीं तो उसे Stock Statement नियमित रूप से देने का लिखित निर्देश देना चाहिए |
  6. स्टॉक तथा प्रतिष्ठान की अन्य आस्तियों का इन्स्योरेन्स नियमित (Regular in order) होना चाहिए | Under Valuation Insurance नहीं होना चाहिए
  7. ऋणकर्ता के प्रतिष्ठान के Stock का रख रखाव , प्रदर्शन कैसा है ?
  8. ऋणकर्ता के Books of A/c कैसा है ? Systematic & Sound ? या Haphazard ? JOURNAL, CASH BOOK, GENERAL LEDGER, PURCHASE BOOK, SALE REGISTER, STOCK BOOK सभी मेनटेन एवं अद्यतन हैं ?
  9. आवेदक G.S.T. एवं अन्य सरकारी टैक्स समय से भुगतान किया है या नहीं ? यदि प्रतिष्ठान भाड़े के परिसर में हो तो ऋणकर्त्ता मासिक किराया समय सीमा के अन्तर्गत चुकाता है या विलम्ब से ? शत प्रतिशत नगद बिक्री या क्रेडिट सेल | यदि क्रेडिट सेल है तो Credit Sale का प्रतिशत ?कितने दिनों में क्रेडिट सेल का भुगतान आता है ?
  10. उधारकर्ता की कुल बिक्री बैंक द्वारा प्रदत्त वित्त की कितनी गुना है ?
  11. वर्ष के अन्त में आयकर रिटर्न की प्रतिलिपि P/L a/c, B/S प्राप्त करनी चाहिए |

रिव्यु करते समय उपरोक्त कई बिन्दुओं पर विचार करना चाहिए एवं हर बिन्दु पर मार्किंग करनी चाहिए |

IMPORTANT : STATUTORY RESTRICTIONS :


Advances against Bank’s own sharesसेक्शन 20(1)(a) बैंकिंग रेगुलेशन एम्ट 1949 (AACS) प्राइमरी (अर्बन) कोअपरेटिव बैंक को शेयर के विरुद्ध लोन तथा एडवाँस देने की मनाही है


प्रतिबंधित ऋण :

  1. अन्य बैंकों के FDRs पर साधारणतया ऋण नहीं देना है |
  2. ब्रीज लोन, अंतरिम लोन , हायर पर्चेज ऋण इत्यादि ऋण प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए जायेंगे |
  3. स्टॉक ब्रोकर्स तथा कोमोडिटी ब्रोकर्स को सिक्युरिटी के विरुद्ध भी ऋण नहीं देना है |(Fund Based or non fund based)
    • प्रेफरेंस शेयर्स , सबोर्डिनेटेड डिपोजिट्स के विरुद्ध बैंक ऋण प्रतिबन्धित रहेगा
    • NBFC को भी ऋण देने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है
    • बैंक SHG एवं JLG को RBI की गाइडलाइन्स का अनुपालन करते हुए ऋण दे सकता है
      1. Unsecured Loans And Advances की लिमिट से केवल SHG को मुक्त रखा गया है परन्तु JLG को नहीं |
      2. SHG/ JLGs को अधिकतम ऋण सीमा Individual Exposure Limit होगी |

साधारणतया किसी SHG को उसकी सकल बचत का 4 गुना तक का ऋण दिया जाता है |(परन्तु उत्तम ढंग से प्रबंधित SHG को उसकी बचत का दस गुना तक ऋण दिया जा सकता है | इस हेतु SHG का पिछला रिकार्ड,रिकवरी,बचत करने का तरीका, प्रबन्धन इत्यादि की विवेचना अनिवार्य होगी |)