ऋण नीति का मुख्य उद्देश्य बैंक के उपलब्ध निधि (FUND) को ऐसे ढंग से वितरित करना है कि बैंक का फण्ड सुरक्षित रहे तथा बैंक के लिए लाभकारी हो | इस उद्देश्य की पूर्त्ति भारतीय रिजर्व बैंक के साथ-साथ निवंधक सहयोग समितियां द्वारा जारी किए गए विभिन्न निर्देशों का अनुपालन करते हुए करना है | यह भी ध्यान रखना है कि ऋण बहुतेरे सदस्य के बीच में वितरित हो |
बोर्ड ने INDIVIDUAL BORROWER के लिए 50 लाख एवं GROUP BORROWER के लिए 125 लाख की सीमा निर्धारित की | ज्ञातव्य है कि NON-FUNDED CREDIT को भी इसी सीमा में सम्मिलित किया जाएगा |
इसी बैंक के टर्म डिपोजिट के विरुद्ध लिया गया ऋण – ‘EXPOSURE LIMIT’ में सम्मिलित नहीं किया जाएगा |
कोई उधारकर्त्ता समुह (GROUP) की परिभाषा में आयेगा कि नहीं इसका निर्णय निदेशक मण्डल को मास्टर सर्कुलर DCBR. CO. BPD. (PCB) MC NO – 13 DATED 01.07.2015 के निर्देशों के आलोक में करना है |
दिनांक 31.03.2017 को बैंक के पास कुल जमा एवं पूंजी निधि (CAPITAL FUND) का विवरण :- | |||
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FIGURE IN LAC | |||
DEPOSITS - | 4001.30 | ||
CAPITAL - | 112.95 | ||
RESERVE - | 265.80 | ||
4380.05 | |||
ADD EXPECTED GROWTH IN F.Y. 2017-18 = 20% = | 876.01.... | ||
TOTAL : | 5256.06 | ||
TARGET OF LOAN TO BE DISBURSED = 60% OF TOTAL FUNDS (5256.00) | |||
AVAILABLE 60% OF RS 5256.00 = 3153.64 R/O = 3154 लाख |
अतः वितीय वर्ष 2017-18 में (3154 – 1838.54) = 1315.46 लाख रु० ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है, जिसको निम्नांकित श्रेणियों में विभजित किया गया है :-
PARTICULARS | TARGET OF TOTAL LOAN AS ON 31.03.2018 | ALL READY DISBURSED UP ON 31.03.2017 | TO BE DISBURSED UP TO 31.03.2018 |
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PRIORITY WEAKER SECTOR | |||
C/C | 823.29 | 719.29 | 104 |
O/D | 630.94 | 415.94 | 215 |
HOUSING LOAN (T/L) | 438.73 | 204.73 | 234 |
COM. VEHICLE (T/L) | 62.65 | 30.65 | 32 |
MICRO/UNSECURED (T/L) | 425.62 | 142.62 | 283 |
EDUCATION (T/L) | 45.27 | 0.27 | 45 |
PROFESSIONAL OR SELF EMPLOYED (T/L) | 20.02 | 13.02 | 7 |
T/L /LAD - BUSINESS PURPOSE | 378.28 | 228.28 | 150 |
S.C./S.T. | 31.34 | 6.34 | 25 |
LAP (BUSINESS) (T/L) | 187.46 | - | 187.46 |
NON PRIORITY | 110.4 | 77.4 | 33 |
TOTAL | 3154 | 1838.54 | 1315.46 |
प्रत्येक ऋण आवेदन शाखा प्रबन्धक के द्वारा प्राप्त किये जाऐंगे | प्रारम्भिक छानबीन के पश्चात यदि वो संतुष्ट होते हैं तो ऋण प्रस्ताव तैयार कर सकते हैं | जिसमें वे आवेदनकर्ता से आवश्यक सूचनाएं प्राप्त कर प्रस्ताव को अपनी अनुशंसा के साथ मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को प्रस्तुत करेंगे |
उपरोक्त प्रस्ताव से संतुष्ट होने पर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जी अपने स्तर से जाँच करके, अपनी अनुशंसा के साथ कार्यकारिनी समिति को स्वीकृति हेतु भेजेंगे | “कार्यकारिणी समिति” के स्वीकृति के उपरान्त शाखा प्रबन्धक के द्वारा ऋण वितरण किया जाएगा |
ऋण स्वीकृत करने के लिए “निदेशक मण्डल” में ही सारी शक्तियाँ निहित है | सुगम संचालन हेतु निदेशक मण्डल ने एक “कार्यकारिणी समिति” का गठन करके उसमें ऋण स्वीकृति सम्बन्धि सभी शक्तियाँ सन्निहित कर दी | “कार्यकारिणी समिति” के निम्नांकित सदस्य होंगे :-
इस कार्यकारिणी समिति द्वारा स्वीकृत सभी ऋण को आगामी निदेशक मण्डल की बैठक में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाता है|
महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु निदेशक मण्डल में ऋण दरों में महिलाओं के लिए विशेष छूट का प्रावधान किया है (यथा) :-
महिला के नाम से हो (1 ST APPLICANT) तो बैंक में लागू ऋण दरों में आधा प्रतिशत की छूट दी जाएगी |
बैंक के द्वारा वितरित सभी ऋण Standard Assets बने रहे इसके लिए बैंक ने ऋण वितरण के पश्चात् पर्यवेक्षण करते रहने की योजना तैयार की है | इस नीति के तहत बैंक के शाखा प्रबंधक अपने – अपने क्षेत्र में प्रत्येक महीना में दो बार विशेष ग्राहकों के यहाँ विजिट करेंगे | ऐसा करने से ग्राहकों की अद्यतन स्थिति का आकलन होते रहेगा , साथ ही ग्राहक की समस्या का निदान भी हो सकेगा |
वितरित किये गए सभी ऋणों पर कड़ी नजर रखने का निर्णय लिया गया | इस हेतु बैंक के एक अधिकारी को दायित्व रहेगा जो प्रत्येक ऋण खाता के संचालन पर दृष्टि रखेंगे तथा आवश्यकतानुसार सम्बन्धित शाखा प्रबंधक , मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को सूचित करेंगे यहाँ विशेष रूप से उल्लेख करना आवश्यक समझा गया कि यदि किसी ऋणकर्ता की स्थिति आकस्मिक रूप से ख़राब होने की , या बैंक द्वारा प्रदत्त ऋण खतरे में पड़ने की स्थिति बनती हो तो उक्त अधिकारी बैंक के शीर्ष पदाधिकारी ( अध्यक्ष ) को भी सूचित करें |
ऋण खातों का रिव्यु करने के क्रम में बैंक अधिकारी को निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए :-
रिव्यु करते समय उपरोक्त कई बिन्दुओं पर विचार करना चाहिए एवं हर बिन्दु पर मार्किंग करनी चाहिए |
Advances against Bank’s own sharesसेक्शन 20(1)(a) बैंकिंग रेगुलेशन एम्ट 1949 (AACS) प्राइमरी (अर्बन) कोअपरेटिव बैंक को शेयर के विरुद्ध लोन तथा एडवाँस देने की मनाही है
कुल बैंक गारंटी के लिए बैंक ने कुल निधियों का 5% तक तय किया है |
एक (INDIVIDUAL) बैंक गारंटी की अधिकतम सीमा = EXPOSURE LIMIT (INDIVIDUAL)
अर्थात 50 लाख तक ही होगी |
साधारणतः 100% तरल सिक्युरिटी के विरुद्ध ही बैंक गारंटी देनी चाहिए |
अपने बैंक के नियमित एवं उच्च साखवाले ग्राहक को 50% तरल सिक्युरिटी के विरुध्द 1 वर्ष के लिए अधिकतम 50 लाख तक की बैंक गारंटी दी जा सकती है |
NOTE :
UNSECURED GUARANTEE बैंक के कुल OWNED FUND (PAID UP CAPITAL + RESERVES) के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए |
अपने बैंक को PERFORMANCE GUARANTEE नहीं देनी चाहिए |
निदेशक मण्डल के सदस्यों को एवं उनके रिश्तेदारों को केवल उन्हीं के नाम के LIC पॉलिसी एवं सावधि जमा रसीद के विरुद्ध में ऋण दिया जाएगा | जो निधि आधारित (FUNDED) एवं गैर निधि आधारित (NON – FUNDED) दोनों प्रकार के ऋण पर लागू होगा | जिन प्रतिष्ठानों में निर्देशक मंडल के सदस्य या उनके रिश्तेदार सम्मिलित हो उन्हें भी ऋण पर प्रतिबन्ध है |
निदेशक मण्डल के सदस्यों के रिश्तेदारों का निर्धारण भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार होगा |
अधिकतम ऋण सीमा का निर्धारण भारतीय रिजर्व बैंक के मास्टर सर्कुलर के निर्देश के आलोक में किया गया है, जिसका विवरण निम्न है :-
व्यक्तिगत (INDIVIDUAL) = 50 लाख : ग्रुप बौरोअर = 125 लाख
2 – 3 साल ऋण खाता के संचालन के पश्चात् प्रायः उधारकर्ता ऋण सीमा में बढ़ोत्तरी के लिए आवेदन करते हैं |लोन लिमिट बढ़ाने के पूर्व लोन रिव्यु रिपोर्ट पर अवश्य ही ध्यान देना चाहिए, लिमिट बढ़ाने के अनुसार तरल सिक्यूरिटी एवं अन्य सिक्यूरिटी बढ़ानी चाहिए | इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि ऋणकर्ता को वाकई उसके व्यापार में अतिरिक्त फण्ड की आवश्यकता है या नहीं ? यदि उधारकर्ता के प्रबन्धकीय शिथिलता के कारण आवश्यकता महसूस की जा रही है तो उधारकर्ता को प्रबन्धन में सतर्कता की सलाह अवश्य दी जानी चाहिए
निदेशकमण्डल का ऐसा मत है कि C/C लिमिट कर्ताओं के लिमिट बढ़ाने के प्रस्ताव जाँच के बाद यदि स्वीकार्य हो तो उतनी राशि का 5 वर्षों के लिए टर्म लोन देना चाहिए ताकि उधारकर्ता का काम भी चल जाए और उस पर बैंक के अतिरिक्त ऋण का बोझ भी नहीं बढ़े | (निदेशक)
यदि ग्राहक की साख अच्छी है तथा बैंक के साथ TRANSACTION अच्छा हो तो टेम्पोरारी Over Drafts 180 दिन या कम के लिए तथा अधिक से अधिक 2 लाख रुपयों तक के लिए स्वीकृत किए जायेंगे |
ग्राहक का ऋण खाता बैंक में पहले से चल रहा हो, ग्राहक का पूर्व में बैंक में ऋण खाता रहा हो जिसका भुगतान बैंक की संतुष्टि के अनुसार कर दिया हो | या फिर पर्याप्त तरल सिक्युरिटी दे रहा हो या उच्च साखवाले व्यक्ति की गारंटी हो | टेम्पोररी ओभर ड्राफ्ट पर साधरणतया OD या C/C लिमिट से 2% P. A. अतिरिक्त दर प्रभारित की जाएगी
नोट : लिमिट वृद्धि हो, या लिमिट वृद्धि के रूप में टर्मलोन हो या फिर टेम्पोररी ओवर ड्राफ्ट हो-सभी स्थिति में DOCUMENTATION अच्छी तरह से पूरा करने के पश्चात ही ऋण सीमा स्वीकृत होनी चाहिए
साधारणतया किसी SHG को उसकी सकल बचत का 4 गुना तक का ऋण दिया जाता है |(परन्तु उत्तम ढंग से प्रबंधित SHG को उसकी बचत का दस गुना तक ऋण दिया जा सकता है | इस हेतु SHG का पिछला रिकार्ड,रिकवरी,बचत करने का तरीका, प्रबन्धन इत्यादि की विवेचना अनिवार्य होगी |)
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